तिवारी और शर्मा का कभी विवाह हुआ नहीं, इसलिए रोहित शेखर जारज संतान ही माने जाएंगे।
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प्रेमचन्द कहना यह चाहते हैं कि वह लड़का उसके मृत पति का खून नहीं, किसी गैर (क्षत्री) की जारज संतान है।
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प्रेमचन्द कहना यह चाहते हैं कि वह लड़का उसके मृत पति का खून नहीं, किसी गैर (क्षत्री) की जारज संतान है।
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और अपना मीडिया भले ही अपनी जनपक्षधरता का चाहे जितना वास्ता दे, वह असल में है तो पूंजीवाद की जारज संतान ही.
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भला कौन भामाशाह प्रेमचंद की पढ़ाई इस नैतिकता को स्वीकार करके अपनी संपत्ति को अपनी पत्नी से पैदा जार की औलाद के नाम कर देगा? कौन कुबेर ऐसे उत्तराधिकार कानून को मान्य करेगा कि उसकी कमाई को उसके घर में गैर की संतान खाएगी? आज का कौन राजा भोज इस आधुनिकता को मान देकर अपना राज गैर की जारज संतान को वसीयत में लिख देगा? राजनेताओं में होड़ इस बात को लेकर नहीं लगी है कि वे पराए पुत्रों को सत्ता सौंपने के लिए मारामारी कर रहे हैं।